हिमाचल की एक बेटी ने बिना कोचिंग लिए आईपीएस अफसर बनने का सपना पूरा कर दिखाया है। ऊना जिले के अंब इलाके के गांव थथल की रहने वाली शालिनी अग्निहोत्री ने यह कमाल पहले ही चांस में कर दिखाया।
शालिनी के पिता एक बस कंडक्टर थे, एक दिन शालिनी और उसकी माँ बस में सफ़र कर रहे थे। जिस सीट पर वो बैठे थे, उसके ठीक पीछे एक आदमी खड़ा था। उसने अपने हाथ से सीट को पकड़ा हुआ था। शालिनी की माँ को थोडा अटपटा लगा, उन्होंने उस आदमी को हाथ हटाने को बोला। आदमी ने हाथ नहीं हटाया, जब उन्होंने दुबारा हाथ हटाने को बोला तो आदमीगुस्से में बोला तुम 'DC' हो क्या जो तुम्हारी बात मानू। बस यही बात शालिनी के मन में घर कर गई। हालाँकि उस समय शालिनी को DC का मतलब पता नहीं था।
शालिनी अपना जौहर हैदाराबाद स्थित भारतीय पुलिस अकादमी में ट्रेनिंग के दौरान भी दिखा चुकी हैं। बेस्ट ट्रेनी आईपीएस अफसर घोषित होने के कारण उन्हें न केवल पास आउट परेड के दौरान प्राइम मिनिस्टर बैटन से सम्मानित किया गया था वहीं केंद्रीय गृह मंत्रालय की तरफ से एक रिवॉल्वर भी सम्मान स्वरूप मिली थी।
शालिनी को दोनों ही सम्मान राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी के हाथों से मिले थे। गौरतलब है कि रिवॉल्वर केवल उसी ट्रेनी आईपीएस अफसर को मिलती है जो ट्रेनिंग के दौरान टॉप पर आता है।
शालिनी ने इस कामयाबी का श्रेय अपने माता-पिता को दिया है। उसे सबसे ज्यादा खुशी इस बात की है कि उसे होम काडर मिला है। शालिनी की बड़ी बहन डेंटल सर्जन है और भाई का चयन सेना में अफसर के तौर पर हुआ है।
उन्होंने स्कूली पढ़ाई धर्मशाला स्थित डीएवी स्कूल से की है और पालमपुर एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी से बीएससी की और इसके बाद लुधियाना से एमएससी की। खास बात यह है कि शालिनी ने समाज शास्त्र और भूगर्भ विज्ञान विषय लेकर सिविल सर्विस का एग्जाम दिया था। जबकि दोनों ही सब्जेक्ट नए थे बावजूद इसके उन्होंने कोई कोचिंग नहीं ली। शालिनी को आईपीएस के 65वें बैच में 285वां रैंक मिला था।
इस कहानी को अपने दोस्तों के साथ जरुरु शेयर करें
No comments:
Post a Comment